कह नहीं पाते पर महसूस करते हैं
@कुमार अनेकान्त
पेड़ जरा ज्यादा मासूम होते हैं ।
कम कमाते हैं लुटते हैं बहुत ज्यादा,
सच्चे आशिक से महरूम होते हैं ।।1।।
टेढ़े जो थे वे सदा बचते ही रहे,
अकाजी कब जाल में फंसते हैं ?
जिनकी फितरत है सदा सीधे रहना ,
उनकी गर्दन पे ही आरे चलते हैं ।।2।।
खुदगर्ज है जिनकी ईमानदारी,
वे गरीबी को भी ऐय्याशी कहते हैं ।
ईमान बन गया है जिनकी कमजोरी,
वो ही बेईमानों से जलन रखते हैं ।।3।।
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