Sunday, March 28, 2021

प्रिये ! मैं कैसे होली मनाऊं ?

*प्रिये !मैं कैसे होली मनाऊं ?* 

© कुमार अनेकान्त 

बीते साल मौत का मंजर देखा ,
उस दुख को भुला न पाऊँ।
कोरोना ने दिखाए कितने रंग,
बोलो कौन सा रंग लगाऊं ?

प्रिये !
मैं कैसे होली मनाऊं  ? 

कितने मजदूरों का दम टूटा ,
कितने बच्चों का दामन छूटा ।
कितनों की छूटी रोजी रोटी,
मैं कैसे खुशियां मनाऊं ?

प्रिये !
मैं कैसे होली मनाऊं  ? 

कितने संतों ने ली अंतिम सांसें , कितने परिजनों की छूटी सांसें ।
कितने गए अकाल 
जहां से ,
किस किस की याद दिलाऊं ?

प्रिये !
मैं कैसे होली मनाऊं  ? 

कोई घर का गुजर है जाता ,
तो अगला हर त्योहार अनरय कहाता ।
पूरा जगत संकट में समाये,
तब मैं कैसे रंग लगाऊं ?

प्रिये !
मैं कैसे होली मनाऊं  ?

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