पस्सइ कालगहवत्थु
परदोसं मणुसो विवत्तिकाले ।
ण पस्सइ कम्मदोसा,
अम्मं कहं बबइबबूलेण ।।
बुरे दिन आने पर मनुष्य कालसर्प दोष,ग्रह दोष,वास्तु दोष , परिजनों के दोष आदि बाहर में ही दोष तो देखता है किन्तु स्वयं अपने कर्मों के दोष नहीं देखता । यह भी विचारना चाहिए कि बबूल के बोने पर आम भला कैसे हो सकता है ?
कुमार अनेकांत
12/2/24
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