कुमार अनेकान्त की कवितायें
Monday, February 5, 2024
व्यर्थ प्रयत्न ( प्राकृत गाथा )
अंधयारे य छाया ,
जरे काया मरणमाया कयावि ।
ण खलु ददइ सहजोगं,
पयत्तं जहासक्कं ।।
अंधकार में छाया ,बुढ़ापे में काया और मृत्यु के समय माया,निश्चित ही कभी भी सहयोग नहीं देती है ,यथा शक्ति कितना भी प्रयत्न कर लो ।
©कुमार अनेकांत
6/2/24
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