प्राकृत कविता -३
मजदूर और मजबूर
मयऊरा जयदे खलु , वयं विवसो
पहवाउजाणेहिं |
गच्छंति गेहगामा, सहस्समीला य पादेहिं ||
भावार्थ -
इस देश में मजदूर ही वास्तव में जयवंत हैं ,क्यों कि हम लोग पथ(रेल और बस) तथा वायुयान के द्वारा यात्रा के लिए (विवश) मजबूर हैं और वे हजारों मील अपने अपने गाँव और घर पैदल ही जा रहे हैं |
@कुमार अनेकांत १२/०५/२०२०
drakjain2016@gmail.com
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