Sunday, May 24, 2020

समकालीन प्राकृत कविता १२ ,संकप्पदिवसो

*संकप्पदिवसो*

*पंडिय हुकमचंदस्स जम्मदिवसेव सुसंकप्पदिवसो।*

*सहस्सा सिस्सा सयय जिणदंसणं पसारिस्सन्ति।।*

भावार्थ :

पंडित हुकुमचंद भारिल्ल जी का जन्मदिन ही वह सु संकल्प दिवस है जिसमें उनके हजारों शिष्य जिनदर्शन का प्रचार प्रसार करेंगे - (ऐसा संकल्प करते हैं ) ।

कुमार अनेकांत 
२५/०५/२०२०

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