कैसे कर दूँ माफ़ ?
खुद कुछ न करें कोई करे तो बनते बाधाएं ।
खुदा भी न जाने सबकी कैसी मन की पीड़ायें ।।
खुद के सिक्के में हो खोट तो इल्ज़ाम दे किस पर ।
गैर पड़ जाते हैं भारी सदियों की मुहब्बत पर ।।
जो था विश्वस्त उसे कोई कैसे बदल देगा ?
चिंगारी न हो तो गैर कैसे हवा देगा ?
न गिला उससे जो तुम्हें भड़काए मेरे खिलाफ ।
भड़के तो तुम हो खता ये कैसे कर दूँ माफ़ ?।।
©कुमार अनेकांत
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