Sunday, May 17, 2020

णेणागिरि-वेहवं

णेणागिरि-वेहवं

(नैनागिरि वैभवं )

(उग्गाहा छंद )

णमो पासणाहाणं
रेसिंदगिरिम्मि तव समवसरणं ||
सयय णमो सिद्धाणं
इंदवरगुणसायरमुणिन्दाणं ||१||

भावार्थ -
जिन तीर्थंकर पार्श्वनाथ का समवशरण रेसिंदगिरि तीर्थ पर आया था उन्हें  तथा जिन इन्द्रदत्त, वरदत्त, गुणदत्त ,सायरदत्त और मुनीन्द्रदत्त मुनियों ने यहाँ से निर्वाण प्राप्त कर सिद्ध अवस्था प्राप्त की उन्हें तथा सिद्धों को हमारा सतत नमस्कार है |

सिद्धसिला परिपुण्णं,
णइ सेमरापठार-सेलचित्तं |
सरोवरमहावीरो ,     
सोहइ मज्झे णेणागिरितित्थं ||२||

भावार्थ –
सेमरा पठार नदी के पास शैल चित्रों से परिपूर्ण सिद्धसिला से और मध्य में महावीर सरोवर से नैनागिरि तीर्थ शोभायमान हो रहा है |
भव्वो विसालपडिमा ,
दंसणेण णमो मुणिसुव्वयाणं |
दौलरामवण्णी किय,
जिणभत्ता खलु करन्ति पूयाणं ||३||

भावार्थ –

भव्य विशाल प्रतिमा के दर्शन के माध्यम से तीर्थकर मुनिसुव्रतनाथ को मेरा नमस्कार है जहाँ बैठकर जिनेन्द्र भगवान् के भक्त श्रावक बाबा दौलतराम वर्णी जी द्वारा रचित पूजाओं को करते हैं |

तवो य णेणातित्थे,
सयय णमो विज्जासायाराणं |
णागो वि सुणइ धम्मं,
जं देसणा ‘अणेयंत’-पवयणं ||४||

भावार्थ –
नैनागिरी तीर्थ पर तपस्या करने वाले उन आचार्य विद्यासागर महाराज को भी मेरा सतत नमस्कार है जिनके    प्रवचन देशना में प्रतिपादित अनेकांतरूप धर्म को सर्प जैसे तिर्यंच भी भक्ति भाव पूर्वक सुनते हैं |

गणेसवण्णी तवसो,
सयय सेवइ सुरेसपसासणियं ।
भायउयफूलचंदा,
विउसां जणणी णेणागिरितित्थं।।५।।

भावार्थ - 
यह नैनागिरि तीर्थ, गणेशप्रसाद वर्णी जी की तपस्या का तीर्थ है , सुरेश जैन(IAS) प्रशासनिक की सतत सेवा का तीर्थ है और निश्चित ही प्रो.भागचंद जैन , प्रो उदयचंद जैन जैसे प्राकृत भाषा के तथा प्रो.फूलचंद जैन प्रेमी जैसे जैनदर्शन के विद्वानों को पैदा करने वाला तीर्थ है ।

प्रो अनेकांत कुमार जैन
१८/०५/२०२० 

No comments:

Post a Comment