समकालीन प्राकृत कविता – ६
विश्व परिवार दिवस
(उग्गाहा छंद )
चागाणन्दो य जत्थ ,तत्थ विवाओ ण हवइ परिवारे |
जो सहइ सो खलु रहइ ,लोही य असहणसीला ण रहंति ||
भावार्थ
(त्याग में आनंद मानने वाला) त्यागानंद नामक व्यक्ति जिस घर
में रहता है, उस परिवार में कभी विवाद नहीं होता | (परिवार में एक साथ रहने का नियम
है कि) जो सहता है वह ही निश्रचित रहता है |लोभी और असहनशील लोग परिवार में एक साथ नहीं
रहते |
@कुमार अनेकांत
15/05/2020
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