Saturday, May 16, 2020

समकालीन प्राकृत कविता – ६, विश्व परिवार दिवस


समकालीन प्राकृत कविता – ६

विश्व परिवार दिवस

        (उग्गाहा छंद )

चागाणन्दो य जत्थ ,तत्थ विवाओ ण हवइ परिवारे |
जो सहइ सो खलु रहइ ,लोही य असहणसीला ण रहंति ||

भावार्थ

(त्याग में आनंद मानने वाला) त्यागानंद नामक व्यक्ति जिस घर में रहता है, उस परिवार में कभी विवाद नहीं होता | (परिवार में एक साथ रहने का नियम है कि) जो सहता है वह ही निश्रचित रहता है |लोभी और असहनशील लोग परिवार में एक साथ नहीं रहते |

@कुमार अनेकांत 
15/05/2020


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